Thursday, November 24, 2016
Wednesday, November 9, 2016
चुनावी घमासान
चुनावी घमासान
चुनाव का हो रहा था घमासान
चल रहे थे शब्दों के विषैले बाण
अभद्र भाषा का ख़ूब हुआ आदान-प्रदान
भूलकर सभ्यता दिखे सब एक समान
कीचड़ उछाला सभी ने एक दूसरे पर
प्रतीत हुए सभी एक बालक नादान
हारी मानवता आचार संहिता के आगे
बिना सहायता के ग़रीब पहुँचा शमशान
क्या लोकतंत्र का यही अर्थ है श्रीमान
भुलाकर मान-मर्यादा करो सबका अपमान
(मौहम्मद वसीम)
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