जज़्बाते वसीम
उम्मते मुस्लिमां के लिए अगर आज के दौर में कुछ
करने की ज़रूरत है तो वो है उन्हें तालीमयाफ़्ता बनाने की और तालीमयाफ़्ता लोगों
को रोज़गार के मौक़े फ़राहिम कराने की। आज के इस दौर में जबकि बेरोज़गारी का
बोलबाला है और ऐसे माहौल में जो हमारे मदारिस के सनदयाफ्ता तालिब-ए-इल्म हैं उनके
लिए तो हालात और भी बदतर हैं।
इस मौजूदा दौर में मदरसे के सनदयाफ़्ता बच्चों
के लिए आई0टी0आई0 और पॉलिटेक्निक का क़याम बहुत ज़रूरी है। ताकि ये बच्चे भी अपनी
जि़न्दगी ख़ैर के साथ बसर कर सकें। मदरसे
की तालीम को रोज़ी रोटी से जोड़ना वक़्त की अहम ज़रूरत और हमारा फ़र्ज़ ए ऐन है।
अपने ज़कात, सदक़ात और ख़ैरात को इस तरह के
बुनियादी कामों में लगाने की कोशिश करें। अपने अतियात की निगरानी करें कि सही जगह
लग भी रहे हैं या नहीं। ये तो मुख़्तसर बात है आपसे आईन्दा भी इस सिलसिले में
बातें होती रहेंगी इंशा अल्लाह,
फ़क़त वस्सलाम
मौहम्मद वसीम
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